मै कविता मेरी दीदी के ब्लॉग से
आज आप सब के आशीष से हमें दोहरी ख़ुशी नसीब हुयी एक तो जन्म दिन पर आप सब का आशीष और भरपूर प्यार और दूसरी तरफ आज यू पी बी एड का परीक्षा फल घोषित हुआ जिसमे मै खुश्बू १७५५ वी रैंक हासिल कर सकी जितनी आशा थी नहीं कर पायी लेकिन घर परिवार आप सब का प्यार यों ही मिलता रहेगा तो इस समाज के लिए कुछ न कुछ रचनात्मक करूंगी ..
दीदी तुझे हार्दिक शुभ कामनाएं और आप के गुरु वृन्द को नमन
कविता
आज आप सब के आशीष से हमें दोहरी ख़ुशी नसीब हुयी एक तो जन्म दिन पर आप सब का आशीष और भरपूर प्यार और दूसरी तरफ आज यू पी बी एड का परीक्षा फल घोषित हुआ जिसमे मै खुश्बू १७५५ वी रैंक हासिल कर सकी जितनी आशा थी नहीं कर पायी लेकिन घर परिवार आप सब का प्यार यों ही मिलता रहेगा तो इस समाज के लिए कुछ न कुछ रचनात्मक करूंगी ..
आप सब का बहुत बहुत आभार ...बहुत आभारी हूँ मै अपने गुरुओं का , माँ पिता भाई बहन और आप सब का भी .....अब मंजिलों पर कदम बढ़ चले हैं ....हरी ओउम
खुश्बू
पुत्री आप सब के "भ्रमर" जी
मै खुश्बू हूँ मगन रहूँ मै
महकूँ मै महकाती जाऊं
तितली सी उडती जाती मै
बड़ी दूर तक देखो तुम्हे छकाये
मलयानिल संग घूम फिरूं मै
उड़ उड़ आती अपना पर फैलाये
मै खुश्बू हूँ........... मगन रहूँ मै
महकूँ मै महकाती जाऊं
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सुन्दर-सुन्दर पुष्प हमारे
जननी-जनक हैं न्यारे
भगिनी -भाई बड़े दुलारे
कोमल आँख के तारे
सभी ख़ुशी हैं उनको देखे
खिंचे चले ही आते
सुन्दर जब परिवेश हमारा
बगिया हरी भरी हो
प्रेम पुष्प जब खिलें ह्रदय तो
खुश्बू मन भर ही जाती
मै खुश्बू हूँ मगन रहूँ मै
महकूँ मै - महकाती जाऊं ….
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आनंदित जब मन हों अपने
दुनिया अच्छी लगती
गुल-गुलशन अपना खिल जाए
बात ये बिलकुल सच्ची
गले मिलें सौहार्द्र भरा हो
हर मन हर को प्यार भरा हो
सभी कृत्य अपने हों अच्छे
बिना चाह के -जैसे बच्चे
मगन रहूँ मै ... मै खुश्बू हूँ
मै खुश्बू हूँ मगन रहूँ मै
महकूँ मै - महकाती जाऊं ….
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मै खुश्बू हूँ सदा सुवासित
अन्तरंग तेरा महकाऊँ
रोम -रोम पुलकित कर तेरा
जोश -होश सारा दे जाऊं
अधरों पर मुस्कान खिलाती
खुशियों की बरसात कराती
मै खुश्बू हूँ ....
मै खुश्बू हूँ मगन रहूँ मै
महकूँ मै - महकाती जाऊं ….
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मेरे जन्म-दिवस पर आना
खुश्बू मन भर -भर ले जाना
अपने आशीर्वचन सुनाना
मै जीवंत रहूँ इस उपवन
सांस में तेरी सदा -सदा -'वन '
गाँव -शहर या गिरि कानन सब
दिल में तेरे बसी चलूँ मै
उन्नति पथ पर सदा उडाऊं
तितली सा मै रंग -बिरंगी
सपने तेरे सच कर जाऊं
इस घर उस घर जहां भी जाऊं
महकूँ मै महकाती जाऊं
मै खुश्बू हूँ मगन रहूँ मै
महकूँ मै - महकाती जाऊं ….
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२४.५.२०१२ कुल्लू यच पी
७-७.२६ पूर्वाह्न